कितने कष्ट सहे इस माँ ने
फिर भी कभी ना कुछ ना बोला
समझाती रही हर बार ये हमको
ना करो तंग इतना मुझको
जतन बहुत किये हैं इस माँ ने
अपने बच्चों के पाप मिटाने को
फिर भी ना समझे ये मूरख़
देता न्योता अपने संहार को
आज पर्लय जब आयी है
हर जगह सिर्फ तन्हायी है
जब अंधकार हुआ इस जग में
तब माँ के उस बेटे ने
दीपक से रौशनी जगायी है
संग लडाई लडने की
हम सबने कसम खायी है
संग कोरोना को हरायेंगे
धरती माँ को स्वस्थ बनायेंगे
तब गर्व होगा धरती माँ को
अपने देश के इन बेटों पे
अपने देश के इन बेटों पे