Earth day

Owner: Mahak Kalra



Description

कितने कष्ट सहे इस माँ ने
फिर भी कभी ना कुछ ना बोला

समझाती रही हर बार ये हमको
ना करो तंग इतना मुझको

जतन बहुत किये हैं इस माँ ने
अपने बच्चों के पाप मिटाने को

फिर भी ना समझे ये मूरख़
देता न्योता अपने संहार को

आज पर्लय जब आयी है
हर जगह सिर्फ तन्हायी है

जब अंधकार हुआ इस जग में
तब माँ के उस बेटे ने
दीपक से रौशनी जगायी है

संग लडाई लडने की
हम सबने कसम खायी है

संग कोरोना को हरायेंगे
धरती माँ को स्वस्थ बनायेंगे

तब गर्व होगा धरती माँ को
अपने देश के इन बेटों पे
अपने देश के इन बेटों पे


Poems In This Collection

    • Earth day

      PoetMahak Kalra