सपना अब हकीकत
मेरी उलझी जिंदगी को एक नया दौर मिला ।
मेरी सपनो की ठिकानों का जब शोर मिला ।।
कस्ती रोक ली मैंने उसी ठिकाने के पास में ।
ख्वाब जो हज़ार देखा था उसी के आस में ।।
लोगों की हँसी जैसे थम सी गयी अचानक ।
पैरों में बेड़िया लग जाती जिससे भयानक ।।
आंखों की रश्मियां अब हिलोरे लेने लगे हैं ।
दिल के अरमान भी साथ मचलने लगे हैं ।।
वातावरण में भी चहल - पहल है हर जगह ।
पल - पल जहां शांति छायी थी बिन वजह ।।
मेहनत की मंजील को एक उड़ान मिल गयी ।
सपनो की हक़ीकत को परवान मिल गयी ।।