चिड़िया का अंडा ।
*चिड़िया का अंडा*
*4 साल का था जब पता चला की चिड़िया का भी अंडा होता है वरना तो मैं सोचता था कि चिड़िया के बच्चे आने का भी कोई फंडा होता है।*
एक नन्ही सी जान अंडे में से निकली मासूम सी थी,
वह सारे जहां से अनजान सी थी ।
अपनी मां के पास सिर्फ 4 महीने तक रुकी थी
मां ने भी अपना पूरा फर्ज निभाया रोज उसे नई तरह से तराशती थी ।
एक महीने बाद लगभग वह पहली बार उड़ी होगी
उड़कर बहुत बार गिरी होगी उसकी मां ने भी पूरी जान लगा दी
जब भी वह गिरती उसे सहारा देकर उठाती और ऊंचाई से फिर धक्का देकर कहती बेटा एक बार और ।
आखिरकार वह उड़ना सीख ही गई ।
उसके हाव-भाव से लग रहा था जैसे अपनी मां को मन ही मन धन्यवाद दे रही हो।
मां भी उसे अपनी लाडली की तरह दुलारती दिख रही थी ।
4 साल का था जब पता चला की चिड़िया का भी अंडा होता है,वरना तो मुझे लगता था चिड़िया के बच्चे आने का भी फंडा होता है।
मां का कर्तव्य पूरा हो गया था बार-बार धकेल कर कहती जा बेटा अब अपनी अलग दुनिया बसा ले ।
मां बेटी जैसे दोनों गले मिल रही हो मां को विदा कह कर बेटी भी अपने शहर को निकल पड़ी।
उड़ते उड़ते पहुंच गई थी वह मिलो दूर , उड़ते उड़ते पहुंच गई थी वह मिलो दूर ।
लगता था अपने किसी हमसफर की तलाश में निकली हो ।
बड़ी मेहनत के बाद उसने अपना हमसफर ढूंढा था ऐसा लगता था जैसे साथ में दोनों बहुत ही खुश हों ।
दुबारा से दोनों ने मेरे ही घर के पास आकर अपना घर बसाया ।
ऐसा लगता था दोनों मेरी ही बात कर रहे हो।
अब बेटी भी मां बनने वाली थी और बेटी की मां तो शायद स्वर्ग सिधार गई थी ।
फिर एक बार दोनों बहुत ही खुश थे लग रहा था दोनों मां बाप बनने की खुशी जाहिर कर रहे हो ।
बच्चा बहुत ही प्यारा था मां बाप की आंख का तारा था ।
4 साल का था जब पता चला की चिड़िया का भी अंडा होता है वरना तो मैं सोचता था कि चिड़िया के बच्चे आने का भी कोई फंडा होता है।