शब्द ना मेरे पास
मैं क्या कहूं उनके लिए है शब्द ना मेरे पास उंगली पकड़ के जिसने हमें चलना सिखाया बचपन से लेके जीवन का पाठ पढ़ाया वह है तो बाजार के खिलौने अपने हैं वो मिठाइयां अपनी है,वो सारे कपड़े अपने हैं, इतने अच्छे इतने प्यार से हमको है पढ़ाया फिर पापा जैसा छोटा शब्द क्यों है बनाया क्या कमी रह गई थी बोलो उनके प्यार में जो ऐसा सुलूक करते हैं हम उनके साथ में यह जानते कि देवता तो वह है हमारे फिर भी मंदिरों में रोज दूध बहाते दिखाने के लिए चंदे भी लाखों चढ़ाते कहने को तो यह पुण्य है समझो तो पाप है अरे दो रोटी को तरसे पिता काहे का लाभ है और इसका आधा भी घर में करें तो क्या बात है अरे घर ही स्वर्ग है मानो जन्नत का लाभ है सिर्फ शहीदों को ही याद क्यों करते हैं अक्सर कुर्बानियां तो उनने भी कम नहीं दी अपनी खुशियां अपनी चाह सब पीछे छोड़के हमारे लिए खुद के स्वप्न भूल से गए और हां यह कटु है पर बिल्कुल सत्य है पार्टियों और शॉपिंग करने का वक्त है बस मां बाप के लिए हि मानो सबसे व्यस्त है अरे शर्म कर तू खुद पे तू कैसी औलाद है दुनिया की तो वाहवाही लूटी घर बेहाल है कैसा जुनून ये तेरे सर सवार है क्या पैसों से ही बस ए बंदे तुझको प्यार है मां की दुआओं का है असर कुछ इस कदर कि खंजर का वार भी है असफल और जब तक तेरे सर पर उस मां का हाथ है दुनिया की सारी दौलत बस तेरे पास है।
-धन्यवाद