MAA
माँ का डर
ननहीं ननहीं उगिलया मेरी, चलना मुझको आता है,
हर कदम पर सहारा देती, वही तो मेरी माता है!!
पढ लिख कर कुछ बन जाऊ,सपना लेकर जीती है,
कैसै छोडे मझे स्कूल मे, बस एक बात से डरती है!!
उची उची दीवारै देख कर,ऱोज वह रोया करती है,
किसके हाथ मे सौपै मुझ को, यही सोचा करती है!!
स्कूल पहुँच कर टीचर से मिल, राहत की सास आई है,
अपऩी जैसी टीचर पाके,मैरा दाखिला करवा पाई है!!
देर लगी पर समझ आ गई,कैसे पढाई शुरु होती है,
माँ पहली टीचर होती है,टीचर भी हमारी माँ होती है!!
© मोनिका चोपड़ा