Saray
सराय
एक सराय है हमारी
ये चल रही है दुआ है तुम्हारी !
बाहरी दुनिया से मेल खाती सजावटें हैं
अंदर दीवारों पे पुरानी सी लिखावटे हैं
कदम तो बहुत यहाँ आये हैं
कई ने तो जनाब दोराहे है
किस्से जाम बनकर बहे हैं
हम फिर भी खली खली से रहे हैं
ये सराय है हमारी, जो दिल्लगी थी तुम्हारी
हमने भी टूटे दिलों की गवाही दी है
जुड़ जाओगे तुम ये कहकर हौसला अफसाई की है
ऐतबार मोहब्बत से खतम ना हो इसलिए
दीवारों पे तस्वीरें टंगवायी है
ये सराय है हमारी ,जो खुशमिजाजी है तुम्हारी
कुछ लोग भी अजीब करते हैं,लम्हो का मोल सिक्को में भरते हैं
पर हमने भी कहाँ चाँद को पाना है
सिक्को को उठाना है और चलते चले जाना है
ये सराय है हमारी ,जो बेरुखी है तुम्हारी
बरसो बीत चलें हैं अब मारमते करवानी पड़ेगी
या कहो तो बोली लगवा दें ,ये इमारत ही बिकवानी पड़ेगी
इंतज़ार हमेशा उस मुसाफिर का रहेगा
जो आये और लौट ना जाए
समझे हमे और अपना बनाये
ताकि हम भी कभी ये कह सके ये सराय थी हमारी
पर अब जान है तुम्हारी !!
- प्रगति